The best Side of Shodashi

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Tripura Sundari's form is not only a visual illustration but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by symbols to grasp deeper cosmic truths.

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

Her form is claimed being one of the most wonderful in many of the a few worlds, a attractiveness that is not simply Bodily but additionally embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is often depicted as being a resplendent sixteen-year-old Female, symbolizing Everlasting youth and vigor.

An early morning bath is taken into account essential, followed by adorning fresh new dresses. The puja location is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, creating a sacred Area for worship.

काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥

Shodashi’s mantra allows devotees release earlier grudges, suffering, and negativity. By chanting this mantra, persons cultivate forgiveness and emotional launch, endorsing assurance and a chance to move ahead with grace and acceptance.

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।

The Mahavidya Shodashi Mantra fosters emotional resilience, supporting devotees technique lifetime using a quiet and continuous brain. This gain is valuable for all those encountering strain, as it nurtures interior peace and a chance to preserve psychological harmony.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली website जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।

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